Chhath puja 2023: छठ महापर्व का आज तीसरा दिन, जानिए पूजा विधि और संध्या अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त

आस्था के महापर्व छठ का आज तीसरा दिन है। आज ही अस्त होते सूर्य को संध्या का अर्घ्य दिया जाएगा, जिसकी तैयाारी बहुत जोरों से है। महापर्व छठ पर लाखों श्रद्धालु आज अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा अर्चना करेंगे।

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न्यूज़लिंक हिंदी। आस्था के महापर्व छठ का आज तीसरा दिन है। आज ही अस्त होते सूर्य को संध्या का अर्घ्य दिया जाएगा, जिसकी तैयाारी बहुत जोरों से है। महापर्व छठ पर लाखों श्रद्धालु आज अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा अर्चना करेंगे। शनिवार को कार्तिक शुक्ल पंचमी के दिन छठव्रती खरना की पूजा कर 36 घंटे का निर्जला व्रत की लोगों ने शुरुआत की। आज कार्तिक शुक्ल षष्ठी की शाम को अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को जल से अर्घ्य दिया जाएगा। सोमवार को कार्तिक शुक्ल सप्तमी की सुबह उदीयमान भगवान सूर्य को दूध एवं जल से अर्घ्य दिया जाएगा। अर्घ्य के बाद व्रती घाट के निकट बने सूर्य पिंडों के पास बैठकर भगवान भास्कर की पूजा करेंगे। अर्घ्य और पूजा के बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत भी समाप्त हो जाएगा।

यह व्रत संतान के सुखी जीवन की कामना के लिए किया जाता है। छठ पर्व षष्ठी तिथि से दो दिन पहले यानि चतुर्थी से नहाय-खाय से आरंभ हो जाता है और इसका समापन सप्तमी तिथि को पारण करके किया जाता है। छठ पर्व पूरे चार दिनों तक चलता है। इस पर्व में मुख्यतः सूर्य देव को अर्घ्य देने का सबसे ज्यादा महत्व माना गया है। तो चलिए जानते हैं छठ पूजा की तिथियां अर्घ्य का समय और पारण समय क्या है।

नहाय-खाय तिथि
छठ पूजा का यह महापर्व चार दिन तक चलता है इसका पहला दिन नहाय-खाय होता है। बता दें कि छठ पूजा की नहाय खाय परंपरा में व्रती नदी में स्नान के बाद नए वस्त्र धारण कर शाकाहारी भोजन ग्रहण करते हैं। इस दिन व्रती के भोजन ग्रहण करने के बाद ही घर के बाकी सदस्य भोजन ग्रहण करते हैं।

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खरना तिथि
खरना छठ पूजा का दूसरा दिन होता है। खरना 18 नवंबर को था। खरना के दिन व्रती एक समय मीठा भोजन करते हैं। इस दिन गु़ड़ से बनी चावल की खीर खाई जाती है। इस प्रसाद को मिट्टी के नए चूल्हे पर आम की लकड़ी से आग जलाकर बनाया जाता है। इस प्रसाद को खाने के बाद व्रत शुरू हो जाता है। इस दिन नमक नहीं खाया जाता है।

संध्या अर्घ्य का समय
छठ पूजा पर सबसे महत्वपूर्ण दिन तीसरा होता है। इस दिन संध्या अर्घ्य का होता है। इस दिन व्रती घाट पर आकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इस साल छठ पूजा का संध्या अर्घ्य 19 नवंबर को दिया जाएगा। 19 नवंबर को सूर्यास्त शाम 05:26 बजे होगा। इस दिन टोकरी में फलों, ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि अर्घ्य के सूप को सजाया जाता है। इसके बाद नदी या तालाब में कमर तक पानी में रहकर अर्घ्य दिया जाता है।

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उगते सूर्य को अर्घ्य
चौथा दिन यानी सप्तमी तिथि छठ महापर्व का अंतिम दिन होता है। इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण का होता है। इस साल 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इस दिन सूर्योदय सुबह 06:47 बजे होगा। इसके बाद ही 36 घंटे का व्रत समाप्त होता है। अर्घ्य देने के बाद व्रती प्रसाद का सेवन करके व्रत का पारण करती हैं।

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