न्यूज़लिंक हिंदी। इंडियन पीनल कोड (IPC) अब इतिहास बन चुका है। इसका मुख्य कारण, इसकी जगह भारतीय न्याय संहिता अब कानून बन गया है। इसके साथ ही किसी भी जुर्म के होने पर अपराधी को पकड़कर सजा दिलाने से पहले घटना की प्रथम रिपोर्ट यानी FIR लिखने तक की सारी गतिविधि बदल चुकी हैं। लिहाजा वकील, जांच अधिकारी और अदालतों से जुड़े सभी लोगों में उहापोह की स्थिति है।
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दरअसल, अब जांच अधिकारियों ने Bharatiya Nyaya Sanhita की ट्रेनिंग पर जोर दिया है। दिल्ली पुलिस के पूर्व एसीपी और दिल्ली पुलिस महासंघ के चीफ वेदभूषण ने बताया कि गुलामी की प्रतीक इंडियन पीनल कोड अब भारतीय न्याय संहिता के बतौर विक्टिम फ्रैंडली बनाया गया है। लेकिन पूरी तरह से इन बदलावों को समझने में कम से कम महीने भर का वक्त लगेगा।
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बता दें कि (आईपीसी) में 511 धाराएं थीं, जो कम होकर भारतीय न्याय संहिता में सिर्फ 358 रह गई हैं। यही वजह है कि शामिल धाराओं का क्रम भी बदल गया है। दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि अब तक की जानकारी में रिफ्रेश बटन दब गया है। लिहाजा नई संहिता के लिए ट्रेनिंग की जरूरत पड़ेगी और हम इस पर काम कर रहे हैं क्योंकि कानून जनता के लिए ही है।