Madhya Pradesh: हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी नहीं मिल रही पेंशन, सरकारी डॉक्टरों ने लगाए गंभीर आरोप

सेवानिवृत्त डॉक्टरों ने आरोप लगाए हैं। इनका कहना है कि पिछले कुछ वर्षों से हमारे पेंशन प्रकरण कई तरह की आपत्तियां लगाकर अटका रखे हैं। जैसे-जैसे डॉक्टर रिटायर हो रहे हैं, उनके प्रकरणों में भी अनावश्यक प्रकार की आपत्ति लगाकर उन्हें उनके सेवानिवृत्ति अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है। 

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न्यूज़लिंक हिंदी, इंदौर। सरकारी डॉक्टरों ने पेंशन संचालक पर परेशान करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी पेंशन नहीं दिया जाना समझ से परे है। इसके पहले भी जो आपत्ती लगाई गई थी वो सभी गलत थी। पेंशन संचालक अनावश्यक परेशान कर रहे हैं।
सेवानिवृत्ति अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है
कर्मचारी राज्य बीमा सेवा मप्र के इंदौर में पदस्थ रहे सेवानिवृत्त डॉक्टरों ने आरोप लगाए हैं। इनका कहना है कि पिछले कुछ वर्षों से हमारे पेंशन प्रकरण कई तरह की आपत्तियां लगाकर अटका रखे हैं। जैसे-जैसे डॉक्टर रिटायर हो रहे हैं, उनके प्रकरणों में भी अनावश्यक प्रकार की आपत्ति लगाकर उन्हें उनके सेवानिवृत्ति अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है।
वर्तमान में ऐसे करीब 8-10 डाक्टर हैं जिनके प्रकरण दो तीन साल से लंबित हैं। पूरे मध्य प्रदेश में किसी भी और स्थान पर ईएसआईएस के किसी भी डॉक्टर की पेंशन स्वीकृति में कोई अवरोध नहीं आ रहे हैं, पर इंदौर के ही संभागीय पेंशन कार्यालय द्वारा अनावश्यक आपत्तियां लेकर पेंशन प्रकरण स्वीकृत नहीं किया जा रहे हैं।
पेंशन संचालक पर लगाई कास्ट
डॉक्टर का कहना है कि डिप्लोमा विशेषज्ञता धारी चिकित्सकों को विशेषज्ञ बनने की पात्रता नहीं होने के बाद भी विशेषज्ञों का वेतनमान स्वीकृत कर दिया गया है, समयमान वेतनमान के लिए तदर्थ सेवा अवधि को भी गणना में लिया गया है जो गलत है। जबकि ऐसा हाई कोर्ट के निर्णय के पालन में स्वयं शासन द्वारा किया गया है।
योजना अंतर्गत उच्चतर वेतनमानों का लाभ स्वीकृत किया
इस विभाग के सभी चिकित्सकों को चाहे वह विशेषज्ञता योग्यता रखते हों या नहीं वित्त विभाग द्वारा स्वीकृत समय मान योजना अंतर्गत उच्चतर वेतनमानों का लाभ स्वीकृत किया गया है एवं इसका उनकी विशेषज्ञता की डिग्री या डिप्लोमा से कोई संबंध नहीं है। एक दो चिकित्सकों को तो उच्च न्यायालय द्वारा आदेशित किए जाने के बाद भी संभागीय पेंशन अधिकारी द्वारा पेंशन भुगतान आदेश जारी नहीं किए गए हैं।
हाई कोर्ट द्वारा संभागीय पेशन अधिकारी व संचालक पेंशन भोपाल पर अनावश्यक आपत्तियों द्वारा परेशान करने के कारण, कास्ट भी लगाई है। बता दे कि इन सभी डॉक्टरों का कहना है कि इस संबंध में संचालक कर्मचारी राज्य बीमा सेवा एवं प्रमुख सचिव श्रम विभाग द्वारा भी संभागीय पेंशन अधिकारी व संचालक पेंशन को समस्त नियमों, वस्तु स्थिति व तथ्यों से अवगत करा दिया गया है।
इसके बावजूद पेंशन जारी नहीं की जा रही है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि संभागीय पेंशन कार्यालय को संचालक पेंशन भोपाल का भी प्रश्रय प्राप्त है एवं इनकी सांठ गांठ के चलते ही डॉक्टरों के पेंशन प्रकरण अनावश्यक रूप से अटकाए जा रहे हैं।

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