Meerut : गरीबी की भट्टी में चढ़ी दो जिंदगी,11 में नहीं करा सका बेटी का दाखिला, तो पिता ने पुत्री संग दी जान

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न्यूज़लिंक हिंदी। गरीबी की भट्टी में क़ुर्बान हो गई दो जिंदगी , ऐसा ही एक मामला मेरठ के गांव से सामने आया। गुरुवार को दो जिंदगियां गुरबत की भेंट चढ़ गई। बेटी का 11वीं में दाखिला नहीं करा पाने पर बेबस पिता ने मौत का रास्ता चुन लिया।

उसने बेटी को सल्फास खिलाया। इसके बाद खुद भी जहर निगल लिया। हालत बिगड़ने पर बाप-बेटी को मोदीपुरम स्थित अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उपचार के दौरान दोनों ने मुख्य रूप से दम तोड़ दिया। इस हृदयविदारक घटना से क्षेत्र में मातम पसर गया।

चिरौड़ी गांव निवासी जोगेंद्र प्रजापति अपनी पत्नी लता के साथ भट्ठे पर मजदूरी करके परिवार पाल रहा था। जोगेंद्र के तीन बेटी खुशी , शीतल , शिवानी बेटे शिवम व रजत हैं। बेटी खुशी ने गांव के सरस्वती शिक्षा निकेतन से 10वीं पास की थी।

बताया जाता है कि खुशी अब 11वीं में दाखिला लेना चाहती थी, लेकिन पिता आर्थिक तंगी के चलते हुए वह बहुत ही बेबस था। बृहस्पतिवार को जोगेंद्र और उसकी पत्नी लता के साथ मजदूरी करने चले गए। दोपहर में जोगेंद्र घर पर खाना खाने आया था। दूसरे बच्चे बाहर खेल रहे थे। घर पर खुशी ही थी।

लोगों के मुताबिक, जोगेंद्र ने खुशी को जहर देकर खुद भी खा लिया। दोनों की हालत बिगड़ने लगी। इस दौरान पत्नी लता घर पहुंची तो जहर खाने की जानकारी हुई। लता के शोर मचाने पर लोग एकत्र हो गए। बाप-बेटी को मोदीपुरम के अस्पताल में तुरंत भर्ती कराया गया।

वहां पर उपचार के दौरान दोनों की मौत हो गई। सूचना पर सीओ दौराला शुचिता सिंह और थाना प्रभारी पहुंच गए। जोगेंद्र की मौत के बाद चार बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया। अब बच्चों की पूरी जिम्मेदारी लता के कंधों पर आ गई है।

लता अभी तक बदहवास है। महिलाएं किसी तरह उसे दिलासा देती रही। रोते हुए लता ने कहा कि अब वह अकेले चार बच्चों को कैसे पालेगी। वहीं, जोगेंद्र और खुशी के जहरीला पदार्थ खाने की सूचना पर प्रधान नरेशपाल भी अस्पताल पहुंचे। कहा कि वह और ग्रामीण परिवार के साथ हैं। परिवार की पुरी तरह से हर संभव मदद की जाएगी।

 

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