Navratri 9 day: नवरात्रि का नवां और आखिरी दिन करें मां सिद्धिदात्री की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त, महत्व और मंत्र

मां सिद्धिदात्री की अनुकंपा से ही शिवजी का आधा शरीर देवी का हुआ और इन्हें अर्द्धनारीश्वर कहा गया| आज नवमी के दिन सभी अपने व्रत का समापन करते हैं

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न्यूज़लिंक हिंदी। नवरात्रि का नवां और आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री को समर्पित होता है। मां सिद्धिदात्री की अनुकंपा से ही शिवजी का आधा शरीर देवी का हुआ और इन्हें अर्द्धनारीश्वर कहा गया| आज नवमी के दिन सभी अपने व्रत का समापन करते हैं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि की नवमी तिथि पर मां सिद्धिदात्री की विधिवत पूजा करने से धन, बल, यश के साथ सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आइए जानते हैं नवरात्रि नवमी तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा-विधि और मंत्र और आरती।

शुभ मुहूर्त

अश्विन शुक्ल नवमी तिथि समाप्त – 23 अक्टूबर 2023,  शाम 05.4

सुबह का मुहूर्त – सुबह 06.27 – सुबह 07.51

दोपहर का मुहूर्त – दोपहर 1.30 – दोपहर 02.55

शाम का मुहूर्त – शाम 04.19 – रात 07.19

पूजा-विधि..

महानवमी की तिथि नवरात्रि का आखिरी तिथि होती है। इस तिथि पर मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा-अर्चना और पाठ करने का महत्व होता है। महानवमी तिथि पर सुबह जल्दी उठकर स्नान करके व्रत और पूजा का संकल्प लें। फिर इसके बाद पूजा स्थल पर देवी सिद्धिदात्री की प्रतिमा को स्थापित करें। अगर आपके पास देवी सिद्धिदात्री की प्रतिमा नहीं तो देवी दुर्गा की प्रतिमा को स्थापित करके पूजा आरंभ करें। सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें और नवग्रह को फूल अर्पित करें। इसके बाद देवी को धूप, दीप, फल, फूल, भोग और नवैद्य अर्पित करें। इसके बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ और मां दुर्गा और सिद्धिदात्री से जुड़े मंत्रों का पाठ करें। अंत में मां की आरती करें और कन्याओं का पूजन करते हुए उपहार देकर विदा करें।

मां सिद्धिदात्री का प्रिय भोग

मां सिद्धिदात्री को तिल अत्यंत पसंद है, इसीलिए आज के दिन आप भोग में तिल के लड्डू चढ़ाएं|

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मां सिद्धिदात्री के मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:

सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। सेव्यमाना यदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायनी॥

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मां सिद्धिदात्री की आरती

जय सिद्धिदात्री माँ तू सिद्धि की दाता।
तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता॥

तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि॥

कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।
जब भी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम॥

तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।
तू जगदम्बें दाती तू सर्व सिद्धि है॥

रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो॥

तू सब काज उसके करती है पूरे।
कभी काम उसके रहे ना अधूरे॥

तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।
रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया॥

सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।
जो है तेरे दर का ही अम्बें सवाली॥

हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा॥

मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।
भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता॥

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