Pitru Paksha 2023: पितृपक्ष समाप्त होने में बचे सिर्फ एक दिन, पितरों का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो करें ये उपाय

पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की तृप्ति, उनका आशीर्वाद पाने और कुंडली से जुड़े पितृदोष को दूर करने के लिए श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि करने की परंपरा चली आ रही है। सनातन परंपरा से जुड़ी मान्यता है कि व्यक्ति को पितृ ऋण से मुक्ति पाने के लिए इस पितृपक्ष में पूरी श्रद्धा एवं विश्वास के साथ जरूर श्राद्ध करना चाहिए।

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न्यूज़लिंक हिंदी। पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की तृप्ति, उनका आशीर्वाद पाने और कुंडली से जुड़े पितृदोष को दूर करने के लिए श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि करने की परंपरा चली आ रही है। सनातन परंपरा से जुड़ी मान्यता है कि व्यक्ति को पितृ ऋण से मुक्ति पाने के लिए इस पितृपक्ष में पूरी श्रद्धा एवं विश्वास के साथ जरूर श्राद्ध करना चाहिए। ऐसे में यदि आप किसी कारणवश अभी तक उनका श्राद्ध, तर्पण आदि नहीं कर पाएं हैं तो आपको पितृपक्ष के खत्म होने से पहले उनके लिए की जाने वाली पूजा, दान आदि से जुड़े उपाय जरूर करना चाहिए।

यदि आप पितृपक्ष में अपने पितरों का श्राद्ध करना भूल गए हों या फिर उनकी तिथि याद न हो तो आपको पितृपक्ष के अंतिम दिन यानि आश्विन मास की अमावस्या जिसे सर्वपितृ अमावस्या कहते हैं, उस दिन उनका विधि-विधान से श्राद्ध कर सकते हैं। ऐसे में 14 अक्टूबर 2023 को पड़ने वाली सर्वपितृ अमावस्या पर विधि-विधान से श्राद्ध, तर्पण, दान एवं ब्राह्मण भोजन करवाकर अपने पितरों को आशीर्वाद लें और उन्हें आदर पूर्वक विदा करें।

यदि आप पितरों का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो पितृ पक्ष खत्म होने से पहले बरगद और पीपल के पेड़ की पूजा से जुड़ा उपाय कर सकते हैं। मान्यता है कि पानी में काला तिल मिलाकर बरगद के पेड़ को अर्पित करने पर पितृ प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद बरसाते हैं। ऐसे में आपको सुबह होने से पहले उठकर स्नान आदि करना चाहिए और पीपल के पेड़ पर जल अर्पित करें। इस बात का ध्यान रखें कि पानी की बर्बादी न हो, अन्यथा पितर पूजा स्वीकार नहीं करेंगे।

यदि पितृपक्ष में अपने पितरों के निमित्त विधि-विधान से श्राद्ध कर पाना आपके लिए मुश्किल हो तो आपको पितृपक्ष के अंंतिम दिन किसी ब्राह्मण को बुलाकर उनके नाम से भोजन कराना चाहिए। यदि आप ब्राह्मण को भोजन बनाकर न करवा पाएं तो आपको अपने पितरों के नाम से सीधा यानि अन्न सामग्री दक्षिणा समेत किसी ब्राह्मण को आदर एवं सम्मान के साथ दान करना चाहिए।

पितृपक्ष खत्म होने के साथ ही 15 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र की शुरुआत होने वाली है, लेकिन पितृपक्ष के अंतिम दिन और शारदीय नवरात्र से एक दिन पहले साल का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण लगने वाला है। पितृपक्ष खत्म होने के साथ ही 15 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र की शुरुआत होने वाली है, लेकिन पितृपक्ष के अंतिम दिन और शारदीय नवरात्र से एक दिन पहले साल का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण लगने वाला है।

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