न्यूज़लिंक हिंदी। योगा करने की आदत से फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाने के साथ ही फेफड़ों की बीमारियों के जोखिम को भी कम करने में मदद करता है।
रक्त प्रवाह में ऑक्सीजन के संचार को बढ़ावा देने में ही लाभकारी है। डेंगू से बचाव में भी कारगर है। डेंगू के मरीजों में शॉक सिंड्रोम का खतरा बढ़ जाता है। नियमित प्राणायाम से इसका खतरा बहुत ही कम रहता है। यह जानकारी पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश ने दी।
वह बुधवार को किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के शताब्दी भवन प्रेक्षागृह में फेफड़ा जागरुकता कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया बढ़ता प्रदूषण शरीर के साथ फेफड़ों की सेहत बिगाड़ रहा है। बताया कि 24 घंटे में 10 हजार लीटर हवा फेफड़ों तक जाती है और सांस के जरिए बाहर निकलती है।
ऐसे में हवा में मौजूद बैक्टीरिया व वायरस फेफड़ों पर आसानी से हमला बोलते हैं। फेफड़े के संक्रमण से पीड़ित मरीज को खांसी, बुखार, सांस लेने में बहुत ही ज्यादा तकलीफ महसूस होती है। इलाज में देरी से मरीज की जान जोखिम में पड़ सकती है।
रेस्पीरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत ने कहा कि प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए पौधे रोपे। मास्क लगाएं। कूड़े को जलाने से बचें। उसे वैज्ञानिक तकनीक से ही निस्तारित करें। साफ-सफाई का ध्यान रखें। हाथों को साबुन से धुलने के बाद ही भोजन करें। सांस के मरीज मास्क लगाएं। वाहनों का प्रयोग कम से कम करें। सार्वजनिक वाहनों का इस्तेमाल करें। धूम्रपान से तौबा करें। यही नहीं धूम्रपान करने वालों से भी पूरी तरह से दूरी बनाएं।