Kanpur: प्राचीन काली मठिया मंदिर का होगा सुंदरीकरण, कॉरिडोर की तर्ज पर होगा विकास

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शिलान्यास करते मेयर पुत्र अमित पाण्डेय व पार्षद अरविंद यादव समेत स्थानीय जनता।

न्यूजलिंक हिंदी, कानपुर। शास्त्री नगर स्थित प्राचीन मंदिर काली मठिया का  परमट मंदिर कॉरिडोर की तर्ज पर विकास होगा। नगर निगम 60 लाख रुपये खर्च करेगा। रविवार को मंदिर कार्यों की शुरुआत हवन-पूजन कर की गई। मंदिर में लाइटिंग, फुटपाथ और चौराहे के सुंदरीकरण के साथ ही प्रसाद बेंचने वाले दुकानदारों को भी व्यवस्थित किया जायेगा।

काली मठिया मंदिर करीब 150 साल पुराना है। मंदिर के पुजारियों के अनुसार इस स्थान पर एक टीला हुआ करता था। एक जड़ में ही पाकड़, पीपल, नीम, गूलर और बरगद का पेड़ था। उस टीले पर एक गाय रोजाना आकर दूध छोड़ जाती थी। इसके चलते लोगों ने टीले की खोदाई की तो मां काली की मूर्ति निकली, जिसको काली मठिया के रूप में स्थापित किया गया। वर्ष 1971 में पुरी से आए आदिगुरु शंकराचार्य ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। मंदिर में अब मां की एक विशाल मूर्ति स्थापित है, पुरानी छोटी मूर्ति को भी मंदिर में ही एक स्थान पर स्थापित किया गया है।

मंदिर के जीर्णोद्धार को लेकर लगातार प्रयास जारी थे। रविवार को वार्ड 69, सरोजनी नगर पार्षद अरविंद यादव और महापौर पुत्र अमित पांडेय ने प्राचीन काली मठिया मंदिर के भव्य सौंदरीयकरण के कार्य के लिये पूजन किया। इस दौरान पंडित के पुजारी, स्थानीय दुकानदार समेत अन्य लोग रहे। पार्षद अरविंद यादव ने बताया कि कॉरिडोर की तर्ज पर ही मंदिर का सौंदर्यीकरण किया जायेगा।

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लगभग 60 लाख के बजट में लाइटिंग, फुटपाथ और चौराहे का सुंदरीकरण किया जाएगा, दुकानों के व्यवस्थित करने के साथ ही रेलिंग लगाने का कार्य होगा। अमित पाण्डेय ने बताया कि की इस कार्य के लिये बजट का अभाव नहीं होने दिया जाएगा, आगे जरूरत पड़ने पर अलग से बजट भी पास कराया जायेगा। इस दौरान इंडस्ट्रियल एरिया चेयरमैन शिव कुमार गुप्ता, वार्ड 91 पार्षद विनोद गुप्ता, विनय तनवानी, टीटू दुबे, संजय विश्वकर्मा, रंग बहादुर, विनोद सिंह, सौरभ गुप्ता रहे।

सुबह-शाम मां की आरती में जुटते हैं श्रद्धालु
काली मठिया मंदिर की विशेष मान्यता है। 41 दिन लगातार सुबह और शाम की आरती में शामिल होने या नवरात्र में मन्नत की चुनरी बांधने से माता रानी मनोकामना को पूरा करती हैं। मन्नत पूरी होने के बाद भक्त चुनरी खोलकर मां का शृंगार करते और प्रसाद चढ़ाते हैं। इस मान्यता की वजह से प्रतिदिन सुबह-शाम की आरती में यहां के स्थानीय के साथ ही दूर दराज से भी भक्त माता के दर्शन करने पहुंचते हैं।

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